सोमवार, मार्च 19, 2012

‘टेबलेट’ से कितना दूर होगा शिक्षा का ‘दर्द’


  10वीं के छात्रों को ‘टेबलेट’ देने का वायदा करने वाली समाजवादी पार्टी को युवाआें और अभिभावकों ने यूपी विधान सभा चुनावों में खूब वोट किया और सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाकर अपनी बेकारी का इलाज करने वाला ‘डॉक्टर’ तो बना दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या दसवीं पास करने वाले छात्रों को दिये जाने वाले ‘टेबलेट’ से बुनियादी कंप्यूटर लिटरेशी का दर्द दूर हो पायेगा? कहा जा रहा है कि इस योजना से छात्र हाईटेक होंगे। लेकिन गौर करने वाले बात यह है कि युपी में 10वीं और 12वीं पास करने वाले आधे छात्रों को तो सिर्फ कंप्यूटर का नाम ही पता है। टेबलेट और लैपटॉप के बारे में तो वे जानते तक नहीं। चलाना तो दूर की बात है। ऐसे में सरकार की ओर से मुफ्त में बांटे जाने वाले इस टेबलेट का उनके लिए क्या मतलब होगा? इसका इस्तेमाल वे कैसे करेंगे। इसकी क्या गारंटी है कि सरकार की इस योजना को ‘पलीता’ पार्टी कॉडर के ही ‘तेज-तर्रार’ लोग नहीं लगा पायेंगे। ‘मैनर आॅफ डिस्ट्रीब्यूशन’ की बात की जाय तो कैसे मान लिया जाय कि टेबलेट और लैपटॉप उसी छात्र के हांथ में जाएगा,जिसको दिया जाना है।
                  दरअसल युपी चुनावों में सपा को अन्य किसी भी वायदों से चाहे जितना भी लाभ हुआ हो,लेकिन यह मानने से इनकार नहीं किया जा सकता कि युवाआें को टेबलेट और लैपटॉप देने के मनलुभावन वायदे का बहुत बड़ी भूमिका पार्टी की कामयाबी में रही है। ऐसे में युवा समाजवादी अखिलेश यादव की सरकार इस वायदे को पूरा करने की हर संभव कोशिश करेगी। अच्छी योजना है यह। अगर प्रयास अच्छा रहा तो जरूर छात्रों को इससे लाभ होगा। शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीकी के इस्तेमाल ने तकनीक आधारित शिक्षा को जरूरी बना दिया है। आॅन कैं पस लर्निंग सिस्टम हो या आॅफ कैंपस(ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग सिस्टम),हर जगह ई-लर्निंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जैसे आज मोबाइल, ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग के लिए एक खास माध्यम साबित हो रहा है,वैसे ही आगे आने वाला समय लैपटॉप और टेबलेट जैसे उपकरणों का है। महंगे निजी संस्थान एडमिशन के साथ ही छात्रों को लैपटॉप,एटम या टेबलेट देने लगे हैं। भले ही कीमतें वे एडमिशन फीस में ही जोड़ लेते हैं। शिक्षा में आईसीटी को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयास के बहाने निजी संस्थानों ने इसे अपनी कमाई का गुप्त जरिया बना लिया है और यही छात्रों की मजबूरी बनती जा रही है। इसे देखकर ऐसा लगने लगा है कि कंप्यूटर,लैपटॉप और टेबलेट चलाना तो आज के दौर में हर छात्र को आना ही चाहिए। कीमतें इनकी बहुत अधिक है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्र खरीद नहीं सकता है। सरकार यदि मुफ्त में बांट रही है,तो यह छात्रहित में किया गया है अच्छा प्रयास होगा। लेकिन छात्रों को इन उपकरणों को चलाने की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। युपी में लैपटॉप और टेबलेट बांटा जाने वाला है। दसवीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं। दो महीने में परिणाम आ जाएंगे। उसके बाद छात्र लाइन लगा देंगे। अगर लैपटॉप और टेबलेट उन छात्रों को मिलता है,जो इसे चलाना जानते हैं,तो ठिक है। लेकिन छात्रों की संख्या भी काफी है,जो कंप्यूटर,लैपटॉप,एटम या टेबलेट की जरूरी‘ सनक’ से दूर हरकर अपने अथक प्ररिश्रम से किताबी पढ़ाई करके बोर्ड परीक्षा पास कर लेते हैं। ऐसे छात्रों को लैपटॉप और टेबलेट मिल भी जाता है,तो वे इसका क्या करेंगे। उन परिवारों के बच्चे,जो मां-बाप की मजदूरी पर पढ़ाई कर रहे हैं,वे इसका क्या करेंगे। दिल्ली में जब मानव संसाधन विकास मंत्री ने स्कूली छात्रों को ’आकाश'  टेबलेट मुहैया कराने की घोषणा की थी,तो मीडिया ने यही सवाल उछाला था कि क्या बच्चे आकाश से खेलेंगे? दिल्ली में हर स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य है। लेकिन आधे स्कूलों में कंप्यूट शिक्षक ही नहीं हैं। बच्चों को कंप्यूटर कौन पढ़ायेगा। जब दिल्ली में ऐसे सवाल खड़े हो सकते हैं तो युपी ऐसी योजनाएं लागू करने से पहले ऐसे सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश क्यों नहीं की जाती है। इस प्रदेश में ऐसी कोई योजना नहीं है,जो स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य बनायें। यहां कंप्यूटर शिक्षा तो दूर की बात है कि आज भी लड़के बोरा बिछाकर पढ़ने को मजबूर हैं। पक्के कमरे में बच्चों की आवाजों की अनुगूंज का अनुभव तक उन्हें नहीं है,वे कंप्यूटर के क्लीक से निकलने वाले टूं की आवाज को क्या जानेंगे। सवाल यह भी है कि कं प्यूटर की बुनियादी शिक्षा से वंचित छात्रों को लैपटॉप और टेबलेट दे दिया जाता है,तो क्या उन्हें इन उपकरणों को चलाना भी सिखाया जाएगा? यदि ऐसा किये बिना सरकार केवल अपने वायदे पूरे करने में ही अपने राजनीतिक प्रयास की सार्थकता समझती तो बच्चे इन उपकरणों को या तो खिलौना बनाकर रख देंगे या फिर किसी के हांथों बचपना में बेच देंगे। सरकार तो बांटने के बाद आंकड़े जुटाकर अपनी पीठ ठोक लेगी,लेकिन योजना का मकसद कैसे पूरा होगा। क्या यही समझ लिया जाय कि योजना का मकसद केवल छात्रों के हांथों में लैपटॉप या टेबलेट पहुंचने तक ही सीमित है।

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    कल 23/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    1. यशवन्त जी, नव संवत्सर की ढेर सारी शुभकामनाएं आपको भी। नव देवियों की शक्ति से सिंचित आप पूरे साल ऊ र्जा और उत्साह से सक्रिय रहें। मेरी सुझाव आमंत्रित करने के लिए स्वागत और आपको धन्यवाद!

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  2. शशिकांत बाबू क्‍या आपको नहीं लगता कि जो कंप्‍यूटर आपको या हमें ग्रेजुएशन स्‍तर में मिला अगर वो शुरुवाती क्‍लास में मिल जाता तो शायद बात कुछ और होती। आपकी और हमारी जानकारी भले ही जो भी होती लेकिन हम आत्‍मविश्‍वास से तो लबरेज होते। बंधु मुझे लगता है कि इसे हमें सकारात्‍मक तौर पर देखने की जरूरत है।

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    1. जी! पहले तो टिप्पड़ी करने के लिए आपका धन्यवाद। दूसरी बात यह कि आपकी शक जायज है। लेकिन सवाल जो आपने खड़ा किया है,मेरे द्वारा खड़े किये गये सवाल से ठिक-ठिक मेल नहीं खाता है। दरअसल मैने इस प्रयास को सराहा है कि टेबलेट और कंप्यूटर बांटना अच्छा प्रयास है। लेकिन इसके साथ यदि इससे जुड़ी शिक्षा भी दी जाय तो और अच्छा होगा। यह सरकार की जिम्मेदारी है,इसलिए आप भी इस पर सवाल खड़े कर सकते हैं।

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  3. यही होता है ... ज़रूरत को ध्यान में रख कर चीज़ नहीं दी जाती ॥लालच में सब लेते हैं और बेच कर पैसा कमा लेते हैं ...

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    1. जी, संगीता जी! आपने मेरे कथ्य की आत्मा को सही अर्थाें में समझा है। धन्यवाद।

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