आयी हवा वसंती, सन्दर्भ गीत लेकर l
लालच के बवंडर में , उलझी सी प्रीत लेकरll
कलियों में सुगबुगाहट,
फूलों को नहीं राहत l
उपवन को डराती है,
पतझड़ की सनसनाहट l
आगम मधुर मिलन का, रोता अतीत लेकर l
आयी हवा वसंती, सन्दर्भ गीत लेकर ll
अमराइयों की झुरमुट,
कोयल की तान भी है l
रोटी को तरस जाता,
इन्सान आज भी है ll
द्वंदों में फांसने की, अनजानी रीत लेकर l
आयी हवा वसंती, सन्दर्भ गीत लेकर ll
फसलों की बालियों पर,
मेरों की घास पर भी l
क्यों छायी है उजासी,
अब अमलताश पर भी l
हरने व्यथा बदन की, चुभती सी टीस लेकर l
आयी हवा वसंती, सन्दर्भ गीत लेकर ll
पर क्या करे हवा भी,
स्वभाव ही है इसका l
मौसम का व्याकरण ही,
वातावरण है इसका l
अवधारणा में सम की, विषम संगीत लेकर l
आयी हवा वसंती, सन्दर्भ गीत लेकर llहवा वसंती
yes
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंआप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।
मैं भी वाराणसी से ही हूँ।