शनिवार, जनवरी 24, 2009

मध्य से


गत-आगत के बिच खड़े हम आस लिए ये मन में।
नया साल नव खुशियाँ लेकर आएगा जीवन में॥
                                                                                                    
इसी आस में इसी प्यास में ,
कितने साल हैं झेले।
लोभ-क्रोध, मद-ईर्श्या के,
कितने देखे हैं मेले।
हानि-लाभ उन मेलों के सब सिमट गए दर्शन में।
नया साल नव-खुशियाँ लेकर आएगा जीवन में॥


चारों तरफ़ हरियाली होगी ,
अमराई महकेगी।
पत्ती-पत्ती गीत ग्गायेगी ,
कली- कली चहकेगी।
मुक्त सुगंध बिखेरेगी फिर हवा इसी उपवन में।
नया साल नव खुशियाँ लेकर आयेगा जीवन में॥

सुच्चित , शांत ,सुमीत बनेगा ,
वातावरण हमारा।
संदर्शन ,समभाव ,समेकन ,
फिर परिलक्षित होगा।
तब आदर्श हमारा होगा स्थापित वतन में।
नया साल नव -खुशियाँ लेकर आयेगा जीवन में॥

उदासीन सपनों में जब,
खुशियों के रंग भरेंगे।
कदम -कदम पर स्वागत ,
तब साहस ,उत्साह करेंगे।
आगे होंगे हम , होगी एक ऊर्जा नूतन तन में।
नया साल नव -खुशियाँ लेकर आयेगा जीवन में॥मध्य से