खुलेंगे 20 खास विवि और 800 कॉलेज
युजीसी ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए तैयार किया खाका
874 मॉडल और 1000 पॉलिटेक्निक खोलने का भी प्रस्ताव
उच्च शिक्षा में लैंगिक असंतुल की खाई को पाटना है लक्ष्य
नई दिल्ली। अब सरकार छात्राआें के लिए उच्च शिक्षा में प्रवेश को और आसान बनाने जा रही है। सरकारी योजनाओं का तो यही कहना है कि अब इन्हें अच्छी शिक्षा के लिए अपने जिले और गृह नगर से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इनके लिए देशभर में 20 खास महिला विवि, 8 सौ कॉलेज, 374 मॉडेल कॉलेज खोले जाएंगे। साथ 1 हजार पॉलिटेक्निक की स्थापना की जाएगी। यूजीसी ने उच्च शिक्षा में लैंगिक असंतुलन की खाई को पाटने के लिए ऐसी योजना तैयार की है।12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इन प्रस्तावित कार्याें को पूरा कर लिये जाने की उम्मीद जतायी गयी है। आयोग की ओर से 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए तैयार प्रस्ताव में उच्च शिक्षा में क्षेत्र तथा अनुशासन के स्तर पर बढ़ते लैंगिक असंतुल पर साफ चिंता जाहिर किया गया है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता संवर्धन,शिक्षा के प्रसार,शिक्षक-छात्र अनुपात तथा अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति के लैंगिक असंतुल को भी एक अहम लक्ष्य के रूप में शामिल किया गया है। युजीसी की कार्यकारी समिति ने जो प्रस्ताव तैयार किया है,उसमें लैंगिक असंतुलन को खत्म करने के लिए उक्त उपाय किये गये हैं। कहा गया है कि उच्च शिक्षा की दृष्टि से कम सकल नामांकन अनुपात(ग्रॉस इनरोलमेंट रेशियो) वाले चिन्हित आर्थिक रूप से पिछड़े इलाके में जिलेवार 374 मॉडल कॉलेज खोले जाएंगे। ताकि यहां उच्च शिक्षा में छात्रों के मुकाबले में छात्राआें के अनुपात में संतुलन स्थापित किया जा सके। मौजूदा 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अधीन 8 सौ संघटक(कांस्टीट्एंट) कॉलेज खोले जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा देशभर में छात्राआें के लिए 20 खास विवि भी स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। यही नहीं इनके लिए देशभर में 1 हजार पॉलिटेक्निक भी स्थापित किये जाएंगे। ताकि जो छात्राएं हाईस्कूल और इंटर के बाद ही रोजगार की राह देखती हैं,उन्हें इसके योग्य बनाया जाए। उच्च शिक्षा में इनकी संख्या बढ़ाने के लिए इन्हें स्कॉलरशिप, ट्रांसपोर्ट, किराया भत्ता,बुक बैंक तथा शुल्क में छूट के तौर पर दी जाने वाली आर्थिक सहायता की राशि में भी हर स्तर पर इजाफा करने का प्रस्ताव है। आयोग के चेयरमैन प्रोफसर वेद प्रकाश का कहना है कि उम्मीद है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा योजना आयोग आयोग के इस प्रस्ताव को अमल में लेते हुए इन योजनाआें के संपूर्ण क्रियान्वयन के लिए आर्थिक एवं नीतिगत स्तर पर उचित आशापूर्ण कदम उठायेंगे। लेकिन सरकार ने यह नहीं सोचा है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना तक उन जिलों,कस्बों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की इनरोलमेंट प्रतिशत कम क्यों है। सवाल है कि क्या विवि,कॉलेज और अन्य तरह के शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ा देने भर से उच्च शिक्षा में लड़कियों की संख्या का प्रतिशत लड़कों के बराबर पहुंच जाएगा। क्या अच्छे शिक्षण संस्थान और मोटी स्कॉलरशिप राशि,शुल्क और हॉस्टल फीस में रियायत,बुक बैंक के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता को देखक र लड़कियां उच्च शिक्षा में प्रवेश करने लगेंगी। क्या ये प्रलोभन उन अभिभावकों की मानसिकता को बदलने के लिए पर्याप्त होंगे,जो आज के खुले माहौल में भी अपनी बेटियों को औरतों की तरह घर की दहलीज से बाहर जाने देना नहीं चाहते? सरकार की इन योजनाओं में भरोसे का पुट कम है। हांलाकि ये योजनाएं जरूरी हैं लेकिन यह तब अधिक प्रभावी होतीं,जब सरकार ने इन योजनाआें के समानांतर शिक्षा के प्रति बेटियों और समाज को जागरुक करने के लिए योजनाएं बनातीं।
बोझ में लायेंगे कमी
यूनिवर्सिटी की बेतहासा संबद्धता में करेंगे कटौती
संबद्धता सुधार नीतियों के तहत बनेगी कॉलेज कलस्टर यूनिवर्सिटी
बोझ मुक्त कर विवि को शैक्षणिक एवं संस्थागत विकास का देंगे मौका
‘ए’श्रेणी ग्रेड तथा ‘पीई’ कोटि के संस्थानोें को मिलेगा विवि का दर्जा
अब विश्वविद्यालयों में भारी-भरकम संबद्धता का जमाना लद जाएगा। विवि निर्धारित संख्या से अधिक संस्थानों को न संबद्धता दे सकते हैं और नाही संस्थान अपनी मर्जी से किसी विवि से संबद्ध हो सकते हैं। अब किसी संस्थान को ‘कॉलेज कल्स्टर यूनिवर्सिटी’ के तहत ही संबद्धता मिल सकेगी। कोई भी विवि 50 से अधिक संस्थानों-कॉलेजों को संबद्धता नहीं दे सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विविद्यालयों पर अधिक संबद्धता से पड़ने वाले भारी बोझ को कम कर उन्हें शैक्षणिक एवं संस्थागत विकास के लिए मुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए ऐसी योजना तैयार की है। जो 12वीं पंचवर्षीय योजना में तिव्रता से लागू की जाएगी। आयोग की ओर से तैयार योजना में इस बात पर साफ चिंता जाहिर की गयी है कि विविद्यालयों पर अधिक संबद्धता के कारण बोझ बढ़ता जा रहा है। इससे शैक्षणिक गुणवत्ता को प्रभावित हो ही रही संस्थागत विकास भी अवरुद्ध हो रहा है। इसे दूर करने के लिए आयोग की कार्यकारी समिति ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में कई उपाय प्रस्तावित किये हैं। संबद्धता सुधार नीतियों के तहत कॉलेज कल्स्टर यूनिवर्सिटी की योजना बनायी गयी है। इस योजना के मुताबिक कोई भी विवि अपने पड़ोस या जिले के 50 से अधिक कॉलेजों को संबद्धता नहीं दे सकता है। किसी जिले या क्षेत्र के 50 कॉलेजों को यह संस्थागत एवं शैक्षणिक विकास की आजादी देते हुए उनमें से एक अच्छे संस्थान को यूनिवर्सिटी के रूप में चुनने की भी आजादी होगी। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि ऐसा करने से विवि अधिक संबद्धता के बोझ से मुक्त हो जाएंगे। पढ़ाई पर फोकस होगा,निष्पक्षता से तथा समय से परीक्षाएं होंगी। इससे शिक्षा का विकास एवं शैक्षणिक गुणवत्ता वृद्धि होगी। यूनिवर्सिटी की संख्या बढ़ाने के लिए कई उपाय किये गये हैं। युजीसी द्वारा पोटेंशियल आॅफ एक्सीलेंस के लिए चिन्हित किये गये उन स्वायतशासी कॉलेजों को प्रोन्नत करते हुए विश्वविद्यालय या डीम्ड विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया जाएगा,जिनकी छात्र क्षमता 3 हजार से अधिक है। इसके अलावा उन संस्थानों को यूनिटरी यूनिवर्सिटी बना दिया जाएगा,जिन्हें राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद(नाक) की ओर से लगातार दो बार ‘ए’ श्रेणी प्रदान किया गया है। आयोग के चेयरमैन प्रोफेसर वेद प्रकाश ने इन योजनाओं के क्रियान्वयन से उच्च शिक्षा में समावेशन तथा गुणवत्तापूर्ण विस्तारण के लक्ष्य को हासिल कर लेने के उम्मीद जतायी है। ये योजनाएं तो कारगर हो सकती हैं।
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